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भगतो ने हिलमिलकर दरबार


भगतो ने हिलमिलकर दरबार

भगतो ने हिल मिल  कर दरबार सजाया  हे
बस कमी आपकी,श्याम आ जाइये,२
भगतो ने हिल मिल  कर..............

लटके फूलो की लड़िया,दरबार में,
महके अंतर की खुसबू दरबार में
जग मग जग मग ज्योति जली
लगती कितनी भली भली२
बस कमी आपकी.................

पलके सबकी बिछी हे तेरी राह में
तरसे प्रेमी तुम्हारे, तेरी चाह में
धिनक धिनक ढोलक बोले २ अमृत रस मुरली घोले
बस कमी आपकी...................

कोई मेवा मिश्री लाया हे,
कोई तंदुल भेंट में लाया हे
अपनी अपनी श्रद्धा से ,आये सब मिलने तुमसे
बस कमी आपकी..................

रंग भाव भजन का बिखरा यहाँ,
अटके  श्याम बिहारी ढूंढे कंहा
वादा याद दिलाते हे,नंदू क्यू तरसाते  हे
बस कमी आपकी..............

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